तेरी ज़ुल्फ़ों से जुदाई तो नहीं माँगी थी
क़ैद माँगी थी रिहाई तो नहींमाँगी थी !!
मैने क्या जुर्म किया आप ख़फ़ा हो बैठे
प्यार माँगा था ख़ुदाई तो नहीं माँगी थी !!
मेरा हक़ था तेरी आँखों की छलकती मय पर
चीज अपनी थी पराई तो नहीं माँगी थी !!
चाहने वालों को कभी तूने सितम भी न दिया
तेरी महफ़िल में रुसवाई तो नहीं माँगी थी !!
दुशमनी की थी अगर वह भी निबाहता ज़ालिम
तेरी हसरत में भलाई तो नहींमाँगी थी !!
अपने दीवाने पे इतने भी सितम ठीक नही
तेरी उलफ़त में बुराई तो नहीं माँगी थी !
कहाँ से लाऊ हुनर उसे मनाने का;
कोई जवाब नहीं था उसके रूठ जाने का;
मोहब्बत में सजा मुझे ही मिलनी थी;
क्यूंकी जुर्म मैंने किया था उससे दिल लगाने का।
आसमान जितने सितारे हैं तेरी महफ़िल में
अपनी तक़दीर का ही कोई सितारा न हुआ
लोग रो-रो के भी इस दुनिया में जी लेते हैं
एक हम हैं कि हंसे भी तो गुज़ारा न हुआ.
तु ही मिल जाए मुझे बस इतना ही काफी है;
मेरी हर सांस ने बस ये ही दुआ मांगी है;
जाने क्यूँ दिल खिंचा चला जाता है तेरी तरफ;
क्या तूने भी मुझे पाने की दुआ मांगी है।
वक्त :watch: गुजारने के लिये तो मेरे पास भी Chat:speech_left: पर लडकियाँ :two_women_holding_hands: हजार हे, लेकिन वक्त :watch: के सहारे जो जिन्दगी :earth_americas: गुजार दे, मुझे :heart_eyes: तो उस लडकी :girl: का इन्तजार हे.