“जिनके पास अपने हैं वो अपनों से झगड़ते हैं जिनका कोई नहीं अपना वो अपनों को तरसते हैं कल न हम होंगे न गिला होगा सिर्फ सिमटी हुई यादों का सिललिसा होगा जो लम्हे हैं चलो हंसकर बिता लें जाने कल जिंदगी का क्या फैसला होगा”
*समुद्र सभी के लिए एक ही है ... पर...,* *कुछ उसमें से मोती ढूंढते है ..* *कुछ उसमें से मछली ढूंढते है ..* *और, कुछ सिर्फ अपने पैर गीले करते है..,* *ज़िदगी भी... समुद्र की भांति ही है,* *यह सिर्फ हम पर ही निर्भर करता है, कि, इस जीवन रुपी समुद्र से हम क्या पाना चाहते है, हमें क्या ढूंढ़ना है ?*
पीपल के पत्तों जैसा मत बनिए, जो वक़्त आने पर सूख कर गिर जाते है। अगर बनना ही है, तो मेहंदी के पत्तों जैसा बनिए, जो सूखने के बाद भी, पीसने पर दूसरों की ज़िन्दगी में रंग भर देते हैं।