“जिनके पास अपने हैं वो अपनों से झगड़ते हैं जिनका कोई नहीं अपना वो अपनों को तरसते हैं कल न हम होंगे न गिला होगा सिर्फ सिमटी हुई यादों का सिललिसा होगा जो लम्हे हैं चलो हंसकर बिता लें जाने कल जिंदगी का क्या फैसला होगा”
पीपल के पत्तों जैसा मत बनिए, जो वक़्त आने पर सूख कर गिर जाते है। अगर बनना ही है, तो मेहंदी के पत्तों जैसा बनिए, जो सूखने के बाद भी, पीसने पर दूसरों की ज़िन्दगी में रंग भर देते हैं।
कि आसान रास्तों पर चलने का शौक नहीं, मुझे चुनौतियों से लड़ना बखूभी आता है। ये आंधी तूफान विपदा दुख: दर्द क्या बिगाड़ेगे मेरा, इनसे तो मेरा वर्षों वर्षों का नाता हैं।