मेरी मेंहदी की महक तेरे तन से मिलेगी,
जद्दोज़हद में उतरी एक पायल तेरे दामन से लिपटी मिलेगी...
सुबह की हया के साथ खुलेगी जब पलके मेरी,
रात की सरगोशियाँ तेरी नजरो में मिलेगी
हम तो मौजूद थे रात में उजालों की तरह;
लोग निकले ही नहीं ढूंढने वालों की तरह;
दिल तो क्या हम रूह में भी उतर जाते;
उस ने चाहा ही नहीं चाहने वालों की तरह।
इश्क़ वाले आँखों की बात समझ लेते हैं;
सपनों में मिल जाए तो मुलाक़ात समझ लेते हैं;
रोता तो आसमान भी है अपने बिछड़े प्यार के लिए;
फिर पता नहीं लोग क्यों उसे बरसात समझ लेते है।
तेरी ज़ुल्फ़ों से जुदाई तो नहीं माँगी थी
क़ैद माँगी थी रिहाई तो नहींमाँगी थी !!
मैने क्या जुर्म किया आप ख़फ़ा हो बैठे
प्यार माँगा था ख़ुदाई तो नहीं माँगी थी !!
मेरा हक़ था तेरी आँखों की छलकती मय पर
चीज अपनी थी पराई तो नहीं माँगी थी !!
चाहने वालों को कभी तूने सितम भी न दिया
तेरी महफ़िल में रुसवाई तो नहीं माँगी थी !!
दुशमनी की थी अगर वह भी निबाहता ज़ालिम
तेरी हसरत में भलाई तो नहींमाँगी थी !!
अपने दीवाने पे इतने भी सितम ठीक नही
तेरी उलफ़त में बुराई तो नहीं माँगी थी !
रेगिस्तान भी :desert: हरे :deciduous_tree::herb::shamrock: हो जाते है, जब अपने :sunglasses: साथ :raising_hand::raised_hands: अपने भाई :two_men_holding_hands: खड़े हो जाते है ।।
उलझी हुई दुनीयां को पाने
की जिद्द करो,
जो ना हो अपना उसे अपनाने की जिद्द करो,
इस समंदर में तुफान बहुत आते है तो क्या हुआ,
इसके साहिल पे घर बनाने की जिद्द करो...
khan