उन्होंने देखा और हमारे आंसू गिर पड़े;
भारी बरसात में जैसे फूल बिखर पड़े;
दुःख यह नहीं कि उन्होंने हमें अलविदा कहा;
दुःख तो ये है कि उसके बाद वो खुद रो पड़े।
रौशन जमाल-ए-यार...
रौशन जमाल-ए-यार से है अंजुमन तमाम;
देखा हुआ है आतिश-ए-गुल से चमन तमाम;
हैरत गुरुर-ए-हुस्न से शोखी से इज़तराब;
दिल ने भी तेरे सीख लिए हैं चलन तमाम;
अल्लाह रे हुस्न-ए-यार की खूबी के खुद-ब-खुद;
रंगीनियों में डूब गया पैरहान तमाम;
देख तो हुस्न-ए-यार की जादुई निगाहें;
बेहोश एक नज़र में हुई अंजूमन तमाम।
दिल तो तोड ही दिया आपने,
अब चिता भी जला देना ,
कफ़न ना मिले तो ,
ये दुपट्टा ही ओढ़ा देना ,
कोई पुछे कि बिमारी क्या थी हमें ,
तो नजरे झुका के मोहब्बत बता देन.
इन दुनिया में :v: दो पौधे ऐसे हैं जो कभी :hibiscus: मुरझाते नहीं, और अगर जो मुरझा गए तो उसका कोई :hospital: इलाज नहीं, पहला :heart: ‘नि:स्वार्थ प्रेम’और दूसरा ‘अटूट विश्वास’
वो मेहँदी वाले हाथ मुझे दिखा के रोये;
अब मैं हूँ किसी और की हूँ मुझे ये
बता के रोये;
पहले कहते थे
कि नहीं जी सकते तेरे बिन;
आज फिर वही बात वो दोहरा के रोये;
कैसे कर लूं उनकी मोहब्बत पे शक यारों;
वो भरी महफ़िल में मुझे गले लगा के रोये।
एक मुद्दत से मेरे हाल से बेगाना है;
जाने ज़ालिम ने किस बात का बुरा माना है;
मैं जो जिंदगी हूँ तो वो भी हैं
अना का कैदी;
मेरे कहने पर कहाँ उसने चले आना है।