सुबह रो-रो के...
सुबह रो-रो के शाम होती है;...
शब तड़प कर तमाम होती है;
सामने चश्म-ए-मस्त साक़ी के;
किस को परवाह-ए-जाम होती है;
कोई ग़ुंचा खिला के बुल-बुल को;
बेकली ज़र-ए-दाम होती है;
हम जो कहते हैं कुछ इशारों से;
ये ख़ता ला-कलाम होती है।
Sawal kuch bhi ho, jawab tum hi ho
Rasta koi bhi ho, manzil tum hi ho
Dukh kitna hi ho, khushi tum hi ho
Arman kitne bhi ho, aarzoo tum hi ho
Gussa kitna bhi ho, pyar tum hi ho,
Khawab koi bhi ho, us me tum hi ho
Kyunki tum hi ho…!! Ab tum hi ho,
Meri ashiqi ab tum hi ho….!!!!!
तेरी महोब्बत के प्यासे थे
इसलिए हाथ फैला दिए ऐ सनम
वरना हम तो खुद की जिन्दगी के लिए दुआ भी नहीं करते.
कभी-कभी ऐसा भी होता है!
प्यार का असर जरा देर से होता है!
आपको लगता है हम कुछ नहीं सोचते आपके बारे में!
पर हमारी हर बात में आपका ही जिक्र होता है
मेरे दिल की ख्वाहिश है, तू मेरे पास ही रहे,
तेरी आँखों के काजल की, मुझे प्यास सी रहे,
सोनी तेरे दिल मैं, मेरी बात के जज्बात से रहे,
जैसे मेने तुझे चाहा, मुझे तू भी चाहती रहे….
इश्क़ वाले आँखों की बात समझ लेते हैं;
सपनों में मिल जाए तो मुलाक़ात समझ लेते हैं;
रोता तो आसमान भी है अपने बिछड़े प्यार के लिए;
फिर पता नहीं लोग क्यों उसे बरसात समझ लेते है।
नया दर्द एक और दिल में जगा कर चला गया;
कल फिर वो मेरे शहर में आकर चला गया;
जिसे ढूंढ़ता रहा मैं लोगों की भीड़ में;
मुझसे वो अपने आप को छुपा कर चला गया।
दिल मेरा जिस से बहलता...
दिल मेरा जिस से बहलता कोई ऐसा न मिला;
बुत के बने तो मिले अल्लाह का बंदा ना मिला;
बज़्म-ए-याराँ से फिरी बाद-ए-बहारी मायूस;
एक सर भी उसे आमादा-ए-सौदा न मिला;
गुल के ख़्वाहाँ तो नज़र आये बहुत इत्रफ़रोश;
तालिब-ए-ज़मज़म-ए-बुलबुल-ए-शैदा न मिला;
वाह क्या राह दिखाई हमें मुर्शद ने;
कर दिया काबे को गुम और कलीसा न मिला;
सय्यद उट्ठे जो गज़ट ले के तो लाखों लाये;
शैख़ क़ुरान दिखाता फिरा पैसा न मिला।