Sawal kuch bhi ho, jawab tum hi ho
Rasta koi bhi ho, manzil tum hi ho
Dukh kitna hi ho, khushi tum hi ho
Arman kitne bhi ho, aarzoo tum hi ho
Gussa kitna bhi ho, pyar tum hi ho,
Khawab koi bhi ho, us me tum hi ho
Kyunki tum hi ho…!! Ab tum hi ho,
Meri ashiqi ab tum hi ho….!!!!!
Aaj khuda ne phir puchha tera hasta huya
chehra udas kyun hai?
teri ankhoin me pyas kyun hai?
Jinke pas tere liye waqt hi nhi wohi tere
liye khas kyun hai???
Woh Kya Jane Pyar Ki Keemat Kya Hoti Hai,
Jab Nhi Milta Pyar To Aankhe Kitna Roti Hain,
Kbhi Na Kbhi To Wo Bhi Kisi Se Dil Lagayegi,
Karegi Vo Bewafai To Meri Wafa Ki Yaad Ayegi.
जज़्बात बहकते है जब तुमसे मिलती हूँ
अरमान मचलते है जब तुमसे मिलती हूँ...
साथ हम दोनों का कोई बर्दाश्त नहीं करता
सब हमसे जलते हैं जब तुमसे मिलती हूँ...
आँखों से तुम जाने क्या क्या कह देते हो
तूफ़ान से चलते हैं जब तुमसे मिलती हूँ...
हाथो से हट मिलते हैं होंठो से होंठ
दिल से दिल मिलते हैं जब तुमसे मिलती हूँ...
आहो में बह जाती है तन्हाई कि हर रात
कई शिकवे दिल में रहते हैं जब तुमसे मिलती हूँ..
Posted my swee2
हवा का ज़ोर
भी काफ़ी बहाना होता है;
अगर चिराग किसी को जलाना होता है;
ज़ुबानी दाग़ बहुत लोग करते रहते हैं;
जुनूँ के काम को कर के दिखाना होता है;
हमारे शहर में ये कौन अजनबी आया;
कि रोज़ सफ़र पे रवाना होता है;
कि तू भी याद नहीं आता ये
तो होना था;
गए दिनों को सभी को भुलाना होता है।
दिल मेरा जिस से...
दिल मेरा जिस से बहलता कोई ऐसा न मिला;
बुत के बन्दे तो मिले अल्लाह का बन्दा न मिला;
बज़्म-ए-याराँ से फिरी बाद-ए-बहारी मायूस;
एक सर भी उसे आमादा-ए-सौदा न मिला;
गुल के ख़्वाहाँ तो नज़र आये बहुत इत्रफ़रोश;
तालिब-ए-ज़मज़म-ए-बुलबुल-ए-शैदा न मिला;
वाह क्या राह दिखाई हमें मुर्शद ने;
कर दिया काबे को गुम और कलीसा न मिला;
सय्यद उट्ठे जो गज़ट ले के तो लाखों लाये;
शैख़ क़ुरान दिखाता फिरा पैसा न मिला।
जलते घर को देखने वालों, फूस का छप्पर आपका है;
आपके पीछे तेज़ हवा है, आगे मुकद्दर आपका है;
उस के क़त्ल पे मैं भी चुप था, मेरा नम्बर अब आया;
मेरे क़त्ल पे आप भी चुप है, अगला नंबर आपका है।