क्योंकि भोजन न *पचने* पर रोग बढते है...! पैसा न *पचने* पर दिखावा बढता है...! बात न *पचने* पर चुगली बढती है...! प्रशंसा न *पचने* पर अंहकार बढता है....! निंदा न *पचने* पर दुश्मनी बढती है...! राज न *पचने* पर खतरा बढता है...! दुःख न *पचने* पर निराशा बढती है...! और सुख न *पचने* पर पाप बढता है...!
एक अच्छा रवैया एक अच्छे दिन का निर्माण करता है, और एक अच्छा दिन एक अच्छे महीने का, और एक अच्छा महीना एक अच्छे साल का, और एक अच्छा साल एक अच्छे जीवन का निर्माण करता है...!!
किस रिश्ते में किस अंग में रंग लगायें :- 1-माता – पैर , 2-पिता-सीने पर , 3-पत्नी / पति – सर्वांग , 4-बड़ा भाई -मस्तक , 5-छोटा भाई – भुजायें, 6-बड़ी बहन – हाथ और पीठ, 7-छोटी बहन – गाल, 8-बड़ी भाभी / देवर – हाथ और पैर (ननद और देवरानी को खुली छूट ) 9-छोटी भाभी -सर और कन्धे (ननद खुली छूट ) 10-चाची / चाचा – सर से रंग उड़ेले , 11-साले सरहज – जी भरके पटकी पटका होने के पहले तक। 12-ताई / ताऊ – पैर और माथे पर , 13-मामा / मामी – बच कर जाने न पायें , 14-बुआ / फूफा – जी भर कर रंग लगायें, 15-मौसी , / मौसा – डिस्टेन्स मेन्टेन करके रंग लगायें , 16-पड़ोसी सिर्फ सूखा रंग ही लगायें उसमें इत्र जरुर डालें , 17-मित्र – मर्यादायें भूल कर रंग लगायें , 18-बॉस – माथे पर टिका लगायें , 19-बॉस की पत्नी – हाथ में रंग का पैकेट देकर नमस्कार कर लें , शिष्टाचार की सीमा के अन्दर रंग लगायें , अनजाने व्यक्तियों को – सामाजिक मर्यादा और शिष्टाचार का पूरा ध्यान रखें | रंगों का त्योहार आपके लिए आनंदोत्सव साबित हो।