ए “सुबह ” तुम जब भी आना, सब के लिए बस "खुशियाँ" लाना. हर चेहरे पर “हंसी ” सजाना, हर आँगन मैं “फूल ” खिलाना. जो “रोये ” हैं इन्हें हँसाना. जो “रूठे ” हैं इन्हें मनाना, जो “बिछड़े” हैं तुम इन्हें मिलाना. प्यारी “सुबह ” तुम जब भी आना, सब के लिए बस “खुशिया ”ही लाना.
*जीवन में अगर ''''खुश'''' रहना है तो,* *स्वयं को एक ''''शांत सरोवर'''' की तरह बनाए.....* *जिसमें कोई ''''अंगारा'''' भी फेंके तो..* *खुद बख़ुद ठंडा हो जाए.....!!!!*
रास्ते पर कंकड़ ही कंकड़ हो तो भी एक अच्छा जूता पहनकर उस पर चला जा सकता है। लेकिन एक अच्छे जूते के अन्दर एक भी कंकड़ हो तो एक अच्छी सड़क पर कुछ कदम चलना भी मुश्किल है। अर्थात् हम बाहर की चुनोतियों से नहीं बल्कि अन्दर की कमजोरियों से हार जाते है !