क्योंकि भोजन न *पचने* पर रोग बढते है...! पैसा न *पचने* पर दिखावा बढता है...! बात न *पचने* पर चुगली बढती है...! प्रशंसा न *पचने* पर अंहकार बढता है....! निंदा न *पचने* पर दुश्मनी बढती है...! राज न *पचने* पर खतरा बढता है...! दुःख न *पचने* पर निराशा बढती है...! और सुख न *पचने* पर पाप बढता है...!
अपनी कामवाली बाई को 31 मार्च तक छुट्टी दे दे। :thinking::thinking::stuck_out_tongue_winking_eye::stuck_out_tongue_winking_eye::thinking::stuck_out_tongue_winking_eye:
वो भी तो दस घरो में घूमती है:smiley::smiley::smiley::smiley: