गुस्सा तो तब आता है जब पूरी खाँसी भी सुनलो और बंदा फोन ना उठाए :slight_frown: :stuck_out_tongue_closed_eyes::stuck_out_tongue_closed_eyes::stuck_out_tongue_closed_eyes::stuck_out_tongue_closed_eyes::stuck_out_tongue_closed_eyes:
*समुद्र सभी के लिए एक ही है ... पर...,* *कुछ उसमें से मोती ढूंढते है ..* *कुछ उसमें से मछली ढूंढते है ..* *और, कुछ सिर्फ अपने पैर गीले करते है..,* *ज़िदगी भी... समुद्र की भांति ही है,* *यह सिर्फ हम पर ही निर्भर करता है, कि, इस जीवन रुपी समुद्र से हम क्या पाना चाहते है, हमें क्या ढूंढ़ना है ?*
क्योंकि भोजन न *पचने* पर रोग बढते है...! पैसा न *पचने* पर दिखावा बढता है...! बात न *पचने* पर चुगली बढती है...! प्रशंसा न *पचने* पर अंहकार बढता है....! निंदा न *पचने* पर दुश्मनी बढती है...! राज न *पचने* पर खतरा बढता है...! दुःख न *पचने* पर निराशा बढती है...! और सुख न *पचने* पर पाप बढता है...!